फर्स्ट ऐड सर्टिफिकेट क्या है ? इसकी जरूरत किसको पड़ती है ?
हम सबलोग जानते है की माइनिंग कितना जोखिम भरा व्यवसाय है, हर समय किसी को चोट लगने या यों कहें की जान-माल का खतरा बना रहता है। अब ऐसे में, अगर कोई भी व्यक्ति जो कुछ मेडिकल से सम्बंधित जानकारी रखे और जब किसी को चोट खरोंच या कोई सहायता देने की जरूरत पड़े तो वह तत्काल कुछ मरहम पट्टी कर दे या मेडिकल (चिकित्सकीय) सहायता कर दे तो कितना राहत मिल जाएगा, है की नहीं ? इन्ही तरह के लोगों को फ़र्स्ट ऐडर कहा जाता है क्यूकी इन लोगों के पास ऐसा कार्य करने के लिए फर्स्ट ऐड सर्टिफिकेट रहता है ।
माईनिंग इंडस्ट्री में भी इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सभी सुपरवाईजर (CMR 2017 के हिसाब से मैनेजर, ओवरमैन, माइनिंग सरदार एवं सर्वेयर और MMR 1961 के हिसाब से मैनेजर, फोरमैन, मेट या ब्लास्टर एवं सर्वेयर) को सर्टिफिकेट देने से पहले फर्स्ट ऐड सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य किया गया है।
कौन जारी करता है?
फर्स्ट ऐड सर्टिफिकेट लेने से पहले फर्स्ट ऐड की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है और यह सेंट जॉन एम्बुलेंस (इंडिया) ST. JOHN AMBULANCE (INDIA), नई दिल्ली तथा Multi Disciplinary Centre on Safety, Health & Environment, Bhubaneswar, उड़ीसा प्रदान करती है।
जानकारी के लिए बता दूँ की सेंट जॉन’स एम्बुलेंस एसोसिएशन, नई दिल्ली कभी भी अलग से इंडियन कानून के साथ डायरेक्टली रेजिस्टर्ड नहीं थी लेकिन अब यह सेंट जॉन’स एम्बुलेंस एसोसिएशन तथा सेंट जॉन’स एम्बुलेंस ब्रिगेड, इन दोनों को मिलाकर एक अलग संस्था (Organisation) बनाया गया है, जिसका नाम है सेंट जॉन एम्बुलेंस (इंडिया) St. John Ambulance (India), नई दिल्ली , अब यही संस्था सर्टिफिकेट प्रदान करती है।
ज्यादा जानकारी के लिए आप इस लिंक को क्लिक करके इस एसोसिएशन के बारे में पढ़ सकते है। https://indianredcross.org/ircs/stjohn
सेंट जॉन’स एम्बुलेंस एसोसिएशन, नई दिल्ली एवं सेंट जॉन’स एम्बुलेंस ब्रिगेड, नई दिल्ली, एक एनजीओ, Indian Red Cross Society (IRCS) के साथ सम्बद्ध थी। और यह, यानि की इंडियन रेड क्रॉस एसोसिएशन, नई दिल्ली, सोसाइटी ऐक्ट के साथ इंडिया में रेजिस्टर्ड थी ( और अंततः यह इंटरनेशनल रेड क्रॉस एवं Red Crescent Movement, एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन का हिस्सा थी और जिसका मिशन मानवीय जिन्दगी व सेहत को बचाना है)। लेकिन सेंट जॉन’स एम्बुलेंस एसोसिएशन, नई दिल्ली कभी भी अलग से रजिस्टर्ड नहीं थी ।
ये लिखने का केवल एक ही मकसद था की फर्स्ट ऐड सर्टिफिकेट, प्रदान करने वाली संस्था का नाम अब सेंट जॉन’स एम्बुलेंस एसोसिएशन, नई दिल्ली नहीं है बल्कि “सेंट जॉन एम्बुलेंस (इंडिया)” St. John Ambulance (India), नई दिल्ली है।
फर्स्ट ऐड सर्टिफिकेट कितने तरह का होता है, कैसा दिखता है?
उपरोक्त दोनों संस्था (यानि की सेंट जॉन एम्बुलेंस (इंडिया) St. John Ambulance (India), नई दिल्ली और Multi Disciplinary Centre on Safety, Health & Environment, Bhubaneswar, उड़ीसा) अलग नाम से सर्टिफिकेट देती है जैसे की सेंट जॉन एम्बुलेंस (इंडिया) वाला का नाम है:
- Senior Professional: Validity of Certificate is 3 years
- Voucher Certificate: Validity is 5 years
- Medallion and Label Certificate: Validity is Life time
ज्यादा जानकारी के लिए क्लिक करें : https://indianredcross.org/ircs/stjohn
और Multi Disciplinary Centre on Safety, Health & Environment, Bhubaneswar, उड़ीसा वाले का नाम है:
- Basic First Aid course certificate: Validity of Certificate is 3 years
- Refresher First Aid course Certificate: Validity is 5 years
- Advance First Aid course Certificate: Validity is Life time
As per this institute claim, original certificate will be provided within 10 days from the date of examination.
ज्यादा जानकारी के लिए क्लिक करें : https://www.mdconshe.org/pdf/MDC-FAC-2-5Mar-2020.pdf
And official website of Multi Disciplinary Centre on Safety, Health & Environment, Bhubaneswar is https://www.mdconshe.org/
वर्तमान स्थिति :
99 परसेंट लोग फ़र्स्ट ऐड सर्टिफिकेट लेने के लिए कोई प्रैक्टिकल में एक्जाम नहीं देते है बल्कि केवल पैसा जमा करते है और सर्टिफिकेट मिल जाता है। ये सब कोई आज शुरू नहीं हुआ है बल्कि सालों से ये खेल चल रहा है । चाहे xxx प्रकाशन, धनबाद हो या बोकारो का वो फ़ेमस क्लीनिक, सब लोग फ़र्स्ट ऐड सर्टिफिकेट ऐसे ही बनवा देते है। खैर, इसके पीछे लोग तर्क भी देते है की कोई अगर सही में बिना पैसा दिये और एक्जाम देकर बनवाना चाहे तो वो परेशान हो जाएगा और सर्टिफिकेट बनने के लिए पैसा और मेहनत दोनों लगेगा।
इंडिया में रेड क्रॉस सोसाइटी, इंडिया के तरफ से मात्र मुंबई में रेगुलर बेसिस पर फ़र्स्ट ऐड सर्टिफिकेट का कोर्स चलता है, और कुछ सालों से उड़ीसा में भी क्लास चल रहा है, ख़ैर, अब किसी को सही में प्रैक्टिकल बेसिस पर ये सर्टिफिकेट लेना हो तब क्या करेगा? उसको मुंबई या उड़ीसा जाना पड़ता, वहाँ पे जाने, रुकने, क्लास का फीस आदि का ख़र्चा, साथ ही साथ अगर कोई नौकरी कर रहा हो तो उसको छुट्टी लेना पड़ेगा, वो अलग से, यानि की फ़र्स्ट ऐड सही में सीखने के लिए उसको इतना सब कुर्बानी देना पड़ेगा तब जाकर एक फ़र्स्ट ऐड का सर्टिफिकेट मिलेगा।
तब सवाल उठना लाज़मी है की एक तरफ इतना सब करने के बाद जो सर्टिफिकेट मिल रहा है और दूसरे तरफ बिना किसी मेहनत के, बस पैसा दीजिये और सर्टिफिकेट हाथ में, तो कोई क्यों न सबसे आसान सा रास्ता यानि की दूसरा वाला रास्ता चुनें ! अब ये बात अलग है की लोगों के यह रास्ता चुनने की वजह से इंडस्ट्री में अच्छे फर्स्ट एडर जो सही में, समय आने पर फर्स्ट ऐड कर पाए इसकी भारी किल्लत हो गई है।
अब सवाल यह भी उठता है कि इसके लिए जिम्मेदार और कौन है ? फर्स्ट एड प्रदान करने वाली संस्था या माइनिंग इंडस्ट्री या डीजीएमएस या सर्टिफिकेट धारी ? आप ही बतायें की कौन दोषी है।
बेहतरी के लिए कुछ सुझाव:
- सीमित संख्या में फर्स्ट ऐड प्रदान करने वाली संस्था होने की वजह से बहुत सारे लोग जानबूझकर किसी भी झमेले में फंसना नहीं चाहते और पैसा देकर सर्टिफिकेट ले लेते हैं अब यहां पर इस माइनिंग इंडस्ट्री के मैनेजमेंट को चाहिए की वह अपने वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर या हॉस्पिटल या डिस्पेंसरी में फर्स्ट एड का क्लास करवाकर और सर्टिफिकेट देने वाली संस्था के साथ जुड़कर अच्छे और प्रैक्टिकल फर्स्ट एडर बनाए।
- साथ ही साथ डीजीएमएस के अधिकारियों को चाहिए कि वह मैनेजमेंट को सर्कुलर के माध्यम से या मीटिंग करके या गजट में नोटिफिकेशन डलवा कर इसको इम्प्लमेन्ट करवाए तथा कुव्यवस्था पर अंकुश लगाये।
- डिग्री एवम डिप्लोमा कोर्स करवाने वाली संस्था को भी चाहिए कि वो ऐसा कुछ प्रबंध करें कि ये सिलेबस का हिस्सा बन जाये और सर्टिफिकेट लेने के लिए वहीं पर किसी रेडक्रॉस वालों से या दूसरे से प्रशिक्षण प्राप्त हो जाए, किसी को बिना मतलब के दौड़ना धूपना न पड़ें और तब परिणाम बहुत ही बढ़िया होगा, इसकी उम्मीद की जा सकती है। साथ ही साथ लोगों से भी उम्मीद करते है की वो प्रैक्टिकल फर्स्ट एडर बनें।
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इस बार कोरोना के वजह से नहीं हुआ है, बाकी सारी डिटेल्स इस फाइल में लिखा हुआ है | https://www.mdconshe.org/pdf/MDC-FAC-2-5Mar-2020.pdf