अनन्या वाटिका – हसदेव क्षेत्र, एस.ई.सी.एल का गौरव

Ananya vatika artificial pond

हसदेव क्षेत्र न सिर्फ सेंट्रल इंडिया कोलफील्ड्स अपितु सम्पूर्ण कोलफील्ड्स लिमिटेड का एक प्रतिष्ठित क्षेत्र है I भूमिगत खदानों से उत्पादन के मामले में यह एस.ई.सी.एल एवं कोल्इण्डिया में सिरमौर है I कोल्इण्डिया के भूमिगत उत्पादन का लगभग दस प्रतिशत उत्पादन हमारे क्षेत्र की खदानों से होता है I वर्तमान में यहाँ  11 खदाने है, जिसमे 9 खदाने मध्यप्रदेश एवं 2 खदाने छतीसगढ राज्य में स्थित है I

      हसदेव क्षेत्र में मास प्रोड्क्शन टेक्नोलॉजी यथा कंटीन्यूअस मायनर को क्षेत्र की तीन खदानों कुर्जा, कपिलधारा एवं हल्दीबारी में अपनाया गया हैI यह तकनीक पर्यावरण संरक्षण हेतु बहुत उपयोगी है क्योंकि इसमे ड्रिलिंग एवं ब्लास्टिंग प्रकियाओ की आवश्यकता नही है, अतः यह काफी सुरक्षित हैI

उत्पादन में अग्रणी होने के साथ हसदेव क्षेत्र पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील हैI पिछले 27 वर्ष के दौरान म.प्र.राज्य वन विकास निगम की मदद से ओवरबर्डन डंपस, गोफ क्षेत्र एवं इंफ्रास्ट्रक्चर के आसपास 15.00 लाख से अधिक  पौधे रोपे गये हैI वर्ष 2018-19 में भी प्लांटेशन हेतु 13 हेक्टेयर क्षेत्र का चयन किया गया है जहां लगभग 32500 पौधे रोपित किये जायेगे I

  • राजनगर ओपन-कास्ट परियोजना के सेक्टर “डी” के 6 एकड़ ओ.बी. डंप को रिक्लेमेशन के पश्चात ईको रेस्टोरेशन पार्क के रूप में विकसित किया गया हैI बेटियों को समर्पित इस उद्यान का नाम अनन्या वाटिका रखा गया हैI श्री सुधीर पाण्डेय, अभियंता सहायक (सिविल) ने अपनी दिवंगत पुत्री के याद में अनन्या वाटिका की शुरुआत की I
  • दिनांक 24.02.2008 को तत्कालीन चेयरमैन माननीय श्री पार्थो भट्टाचार्य ने अपने प्रवास के दौरान अर्धविकसित वाटिका की भूरि- भूरि प्रशंसा कीI इससे उत्साहित श्री पाण्डेय जी ने प्रबंधन के सक्रिय सहयोग से इस वाटिका के विस्तार में और वर्तमान स्वरुप लाने में अपना अथक योगदान दिया I

इस उद्यान के सम्बन्ध में कुछ तथ्य इस प्रकार है। यह उद्यान भूगर्भीय जल संबर्धन हेतु नियोजित जलाशय के किनारे स्थित है। यहाँ 10000 जी.पी.एच. क्षमता का पेयजल आपूर्ति संयंत्र भी स्थापित किया गया है। इससे “सेक्टर सी कालोनी” एवं आसपास की जनता को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति होती है। यह उद्यान रिक्लेमेशन एवं सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक अप्रतिम उदाहरण है।
यहाँ स्थित जलाशय में माह नवम्बर से अप्रैल प्रथम सप्ताह तक दर्शनीय साइबेरियन पंछियों का प्रबास होता है। आम जनता के भ्रमण हेतु प्रतिदिन शाम 4.00 से 5.00 तक समय निर्धारित किया गया है ।
यह विविध किस्मो के पौधों का रोपण किया गया है :-
आम की पंद्रह प्रजातियां के 60,गुडहल के 150, सजावटी पाम के 75, सेव, मोसंबी,अनार,नासपाती,  ऑवला, जामुन, बेर,बांस एवं अन्य हर्बल पौधे विकसित किये गए है. इसके अलवा शीतऋतु में 1.50 लाख सीजनल पौधे रोपित किये जाते है। एस.ई.सी.एल, कोल् इण्डिया, केद्र सरकार एवं राज्य सरकार के प्रमुख अधिकारीगण भी इस उद्यान का भ्रमण कर, आनंद ले चुके है।
उद्यान की इन्ही विशेषताओ को दिसम्बर 2015 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में संपन्न, विश्व पर्यावरण समेलन सीओपी-21 में कोयला मंत्रालय द्वारा विश्व पटल पर प्रस्तुत किया गया ।

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